हम-दोनों किसी ग़ज़ल के रदीफ क़ाफिया हैं। हम-दोनों किसी ग़ज़ल के रदीफ क़ाफिया हैं।
मां, मुझे तंदुरुस्त बनना है साइकिल की सवारी करना है. मां, मुझे तंदुरुस्त बनना है साइकिल की सवारी करना है.
कामयाबी के खुशियाँ अपनी कदम चूमेगा, जब "एक और प्रयास " के और कदम बढ़ता जायेगा। कामयाबी के खुशियाँ अपनी कदम चूमेगा, जब "एक और प्रयास " के और कदम बढ़ता जायेगा।
ओ रंगरसिया! काहे मन लजावे? ओ रंगरसिया! काहे मन लजावे?
हालत कुछ ऐसे हैं मेरे, कि शब्दों मे बयाँ नहीं होते। हालत कुछ ऐसे हैं मेरे, कि शब्दों मे बयाँ नहीं होते।
खुद, इन्सान से बेजान चीज़ बन जाने का, ये कैसा पागलपन ? खुद, इन्सान से बेजान चीज़ बन जाने का, ये कैसा पागलपन ?